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“ हिन्द मजदूर-किसान समिति ”

हिन्द मजदूर-किसान समिति मजदूर व किसान के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक इत्यादि हितों की रक्षा के लिये बनायी गयी समिति है।

हिन्द मजदूर किसान समिति के मजदूर किसान पिछले लगभग 21 वर्षों से संघर्ष कर रहे थे लेकिन कानूनी तौर पर समिति का गठन 18 दिसम्बर 2020 को उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ में किया गया।

यह समिति श्री चन्द्रमोहन जी की मजदूर व किसान नीति से प्रभावित है और रहेगी। श्री चन्द्रमोहन जी का मानना है कि मजदूर देश के हाथ व पैर हैं और किसान देश की रीढ़ है। मजदूर देश का श्रम दाता है और किसान देश का अन्नदाता है। श्री चन्द्रमोहन जी कहते हैं कि श्रम के बिना अन्न नहीं हो सकता और अन्न के बिना श्रम नहीं हो सकता इसलिये मजदूर और किसान एक दूसरे के पूरक हैं।

मनुष्य में शक्ति की नहीं संकल्प की कमी होती है।

- श्री चन्द्रमोहन जी

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लेकिन ये हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य है कि आज मजदूर और किसान ही सबसे अधिक शोषित व पीड़ित हैं। इसका एक मुख्य कारण मजदूर व किसानों का जाति व्यवस्था में बंधे रहना भी है। हिन्द मजदूर किसान समिति के मजदूर व किसानों का प्रयास रहेगा कि वे मजदूरों व किसानों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें और जाति व्यवस्था से होने वाले शोषण के विषय में भी जागरूक करें।

हमें जातियों में बांटकर भ्रष्ट नेता हमारा शोषण करते हैं, हमारा लाभ उठाते हैं और स्वयं और परिवार के साथ अरबपति व खरबपति हो जाते हैं। हिन्द मजदूर किसान समिति की देश की सम्पन्नता और सुरक्षा के लिए कुछ सूत्र हैं जो कि इस प्रकार हैं:-

  1. वास्तव में जो ज़मीन से जुड़ा है या खेती से जुड़ा है वो ही मजदूर – किसान है। यही मजदूर – किसान की पहचान होनी चाहिये। जब तक मजदूर और किसान जाति व्यवस्था में फंसा रहेगा तब तक एकजुट नहीं हो सकता। मजदूर और किसानों का जाति में बंटना ही सबसे बड़ा अभिशाप है। मजदूर व किसानों के जातियों में बंटे होने के कारण ही मजदूर और किसानों का जातिवादी नेताओं द्वारा भयंकर शोषण किया जाता है। एकजुटता की कमी के कारण इनको अत्याचार, शोषण और उपेक्षा हमेशा सहनी पड़ती है।
  2. जाति व्यवस्था देश के लिए खतरनाक खतरा है। जातिवादी राजनीति में जातिवाद ही छाया रहता है देशहित नहीं। क्योंकि जाति व्यवस्था से जातिवादी राजनीति पैदा होती है, जातिवादी राजनीति से भ्रष्ट राजनीति पैदा होती है और भ्रष्ट राजनीती से भय, भूख, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण, आतंक इत्यादि पैदा होते हैं। इसलिये हम जाति व्यवस्था से घोर घृणा करते हैं।
  3. श्री चन्द्रमोहन जी के अनुसार विद्यार्थी देश का दिल-दिमाग है। मजदूर देश के हाथ-पैर हैं। किसान देश की रीढ़ है। कर्मचारी देश के आँख-नाक-मुंह-कान हैं। व्यापारी देश का पेट है। लोकतंत्र में सभी का महत्त्व है। श्री चन्द्रमोहन जी के अनुसार विद्यार्थी – भविष्य दाता है। मजदूर – श्रम दाता है। किसान – अन्न दाता है। कर्मचारी – व्यवस्था दाता है। व्यापारी – रोजगार दाता है। इसीलिये सभी को देश में समान आदर अधिकार व अवसर मिलना चाहिए।
  4. मजदूर व किसान का शोषण अधिक होता है इसलिये मजदूर किसान पर अधिक ध्यान देना जरूरी है।
  5. किसान का काम केवल फसल को बोना, खेत तैयार करना, फसल को पालना और काटना है। बेचना, ले जाना इत्यादि की व्यवस्था सरकार करे।
  6. मजदूर को बिजली , पानी व भोजन न्यूनतम दरों पर मिलना चाहिए।
  7. पूंजीपति मजदूर – किसान नेता नहीं हो सकता ।
  8. हम सभी की आस्था का सम्मान करते हैं लेकिन अपनी आस्था का भी सम्मान चाहते हैं।
  9. हिन्दू है तो ही देश धर्म निरपेक्ष है इसलिये हिन्दू आस्था पर चोट नहीं सहेंगे।
  10. जाति व्यवस्था से ही जातिवाद, क्षेत्रवाद, लिंगवाद, पूजावाद और पूंजीवाद जैसे दानव पैदा होते हैं। जाति का इतना बड़ा नशा है कि लोग धर्म छोड़ देतें हैं लेकिन जाति नहीं। जाति व्यवस्था मानवता के लिए खतरनाक है।
  11. क्रांतिकारियों की यातना और बलिदान का सम्मान करो और उनके सपने और सम्मान के प्रति हमेशा जागरूक रहो तब ही देश प्रेम पैदा होगा और राष्ट्र के प्रति वफादारी पैदा होगी।
  12. जैसे जमीन में सीलिंग होती है वैसे ही नेताओं की चल अचल संपत्ति में सबसे पहले सीलिंग हो चाहे वह मजदूर नेता हो, किसान नेता हो या जन नेता हो। जैसे हम किसान साढ़े बारह एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं ले सकते इसी तरह नेताओं की चल अचल संपत्ति पर भी नियम हो।
  13. पर जिलों के नाम हों। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी आज़ादी की कीमत समझ सके।
  14. पांचवी कक्षा से क्रांतिकारियों की यातना और बलिदान का विषय पाठयक्रम में शामिल हो और शिक्षक उसे भावपूर्ण तरीके से समझाए ।
  15. इत्यादि

‘‘ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया ’’

( हिन्द मजदूर-किसान समिति का उद्घोष् – ‘‘ जय मजदूर-जय किसान-जय हिन्दुस्तान ’’ )