श्री चन्द्रमोहन जी मानते हैं कि देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिये पंचदेवों की आवश्यकता पड़ती है। उनके अनुसार पंच देव हैं- विद्यार्थी, मजदूर, किसान, कर्मचारी और व्यापारी। अगर इनमें से एक भी पीड़ित या शोषित है तो देश नहीं चल सकता, उन्नति नहीं कर सकता और खुशहाल नहीं हो सकता। परन्तु ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि वर्तमान में हमारे हिन्द में ये पांचों ही पीड़ित व शोषित हैं। हमारे देश में जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा बहुत प्रचलित है और इस नारे में जवान, किसान और विज्ञान (वैज्ञानिक) तीनों का महत्व समान दर्शाया गया है। यदि तीनों का महत्व समान है तो तीनों को सुविधाएं भी समान मिलनी चाहिए।
क्योंकि इस नारे में मजदूर का ज़िक्र नहीं है लेकिन मजदूर किसान का पूरक है इसलिये मजदूर भी किसान के समान ही महत्वपूर्ण है और मजदूर को भी समान महत्त्व और समान सुविधाएं मिलनी चाहियें। जिस प्रकार सैनिक देश की रक्षा करता है, किसान देश के भोजन की व्यवस्था करता है और वैज्ञानिक देश की उन्नति के लिये प्रयोग करता है उसी तरह मजदूर भी देश के विकास के लिये कार्य करता है अतः मजदूर भी किसान इत्यादि के समान महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार सैनिक ठंड, गर्मी या बरसात में सीमा पर डटा रहता है, जिस प्रकार वैज्ञानिक ठंड, गर्मी या बरसात में अपनी प्रयोगशाला में डटा रहता है । उसी प्रकार मजदूर व किसान ठंड, गर्मी या बरसात में अपने कार्य पर डटा रहता है। यदि सैनिक सीमा छोड़ दे या वैज्ञानिक अपने प्रयोग छोड़ दे तो देश बर्बाद हो जायेगा, उसी प्रकार यदि मजदूर श्रम छोड़ दे या किसान खेत छोड़ दे तो भी देश बर्बाद हो जायेगा।
” हमारे देश में सैनिकों को या वैज्ञानिकों को तो रिर्टायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है या और सुविधायें मिलती हैं परन्तु मजदूर किसान को क्या मिलता है ? इसलिये हिन्दुस्तान की खुशहाली के लिये मजदूर व किसानों के हितों की रक्षा जरूरी है। “
श्री चन्द्रमोहन जी मानते हैं कि विद्यार्थी देश का दिल व दिमाग है, मजदूर हाथ पैर हैं, किसान देश की रीढ़ है, कर्मचारी मुख, आंख, कान, नाक हैं और पेट व्यापारी है इसलिये हमारे देश के लिये ये पांचों महत्वपूर्ण हैं। इनमें भी मजदूर और किसान प्रधान हैं इसलिये इनके हितों के लिये कार्य करना ही समिति का मुख्य उद्देश्य होगा। इनके हितों की रक्षा करने के लिये समिति के प्रेरणास्त्रोत श्री चन्द्रमोहन जी के सिद्धान्त लाभकारी हैं जो निम्न हैं:-
- गन्ने और धान की फसल राष्ट्रीय फसल घोषित हो और गन्ने और धान के किसानो को समय पर खेत में ही फसल खरीद की गारंटी, समय पर उचित मूल्य की गारंटी और समय पर उचित आपदा मुआवज़े की गारंटी मिले। (गन्ने और धान की फसल में अथाह शोध की संभावनाएं हैं। इनसे बिजली, तेल और भोजन इत्यादि एक साथ प्राप्त किया जा सकता है।)
- जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिये सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कठोर कानून बनाए और एक समान नागरिकता कानून बनाए। (क्योंकि जब तक जनसंख्या विस्फोट नहीं रुकेगा तब तक मजदूर-किसान गरीब रहेगा।)
- मजदूर – किसान की खुशहाली के लिए घर का बिल माफ़ और ट्यूबवैल का बिल हाफ हो।
- विद्यार्थी के लिये पढ़ाई और दवाई एक समान और फ्री हो। (इससे मजदूर और किसान संपन्न होगा। मजदूर किसानों को अपने बच्चों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था करने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी।)
- गन्ने और धान की फसल राष्ट्रीय फसल घोषित हो। (इससे गन्ने और धान के किसानो को समय पर खेत में ही फसल खरीद की गारंटी और समय पर उचित मूल्य की गारंटी मिल जाएगी। गन्ने और धान की फसल में अथाह शोध की संभावनाएं हैं। इनसे बिजली, तेल और भोजन इत्यादि एक साथ प्राप्त किया जा सकता है।)
- खेती के साधनों पर प्रतिबन्ध ना हो जैसे पुराने ट्रेक्टर।
- जातिगत घृणा फैलाने वाले या जाति व्यवस्था को बढ़ावा देने वाले को कठोर दंड मिले। (क्योंकि जाति व्यवस्था से जातिवादी राजनीति पैदा होती है, जातिवादी राजनीति से भ्रष्ट राजनीति पैदा होती है और भ्रष्ट राजनीती से भय, भूख, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण, आतंक इत्यादि पैदा होते हैं।)
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धर्म का अपमान करने वाले को कठोर दंड मिले। (मज़हब का
सम्मान करो लेकिन धर्म का भी अपमान मत होने दो।)
इत्यादि इत्यादि।
‘‘ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया ’’
( हिन्द मजदूर-किसान समिति का उद्घोष् – ‘‘ जय मजदूर-जय किसान-जय हिन्दुस्तान ’’ )